रेत सी….

रेत सी हूं अथाह, लेकिन छूने से फिसल जाउंगी।
गर भागना चाहोगे पीछे, तो हवाओं में उड़ जाऊंगी।
सर्द रातों में बर्फ सी ठंड लिए,गर्मी की तपिश में मृग मरीचिका सी,बस इतना ही वजूद है मेरा तुम्हारे लिए।
रेत सी हूं अथाह, लेकिन छूने से फिसल जाउंगी।
गर भागना चाहोगे पीछे, तो हवाओं में उड़ जाऊंगी।
सर्द रातों में बर्फ सी ठंड लिए,गर्मी की तपिश में मृग मरीचिका सी,बस इतना ही वजूद है मेरा तुम्हारे लिए।