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30 May 2023 · 1 min read

रूठे लफ़्ज़

रूठे रूठे लफ़्ज़ लग रहे
कुछ नाराज़ सी बातें है ,
स्याह अँधेरे का काजल भर
निग़ाह में सिमटी रातें है ,
घिर आयी घनघोर घटायें
ज़ज़्बातों में उठा फिर तूफां ,
हर एक बूँद से उठती लपटें
सुलगी सुलगी बरसातें है ,

Language: Hindi
74 Views
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