रिश्तों की कसौटी

रिश्तों की कसौटी पर जो खरा उतर जाए ।
जिंदगी उसकी खुदबखुद सुनो संवर जाए ।।
मोहब्बत एक तरफा कभी नहीं होती देखो ।
दो दिल मिल जाएं तो मोहब्बत निखर जाए ।।
संजीदा रखो मां बाप और बेटे के रिश्ते को ।
आ गए बुढ़ापे में तो भला अब किधर जाएं ।।
कम ना होने देना कभी प्रेम पत्नी के लिए ।
कहीं ऐसा ना हो अपना ही घर बिखर जाए।।
बच्चों को अपने हरदम तालिम देना अच्छी।
उनका ये किमती वक्त यूं ही ना गुज़र जाए ।।
दोस्ती के बीच भी दरार ना आने पाए कभी।
दोस्त रूठे तो भला फिर कोई किधर जाए।।
कोशिश रहे हर रिश्ता निभाया जाए दिल से ।
रिश्तों की कसौटी पर”विनोद”खरा उतर जाए ।।