रिश्ते

रिश्ते
वक्त से हार कर
सर झुकाए खड़ा
वो खुद को क्या समझे
पतझड मे ही परख
रिश्तों की होती
बारिश मे हर पत्ता
होता है हरा
जिंदगी बदलती
वक्त के साथ
वक्त बदलता
जिंदगी के साथ
अपने वही होते
जो बदले न वक्त के साथ
न हालात के साथ
सादगी सौंदर्य
उत्कृष्ट भाव है छमा
विनम्रता श्रेष्ठ तर्क
अपनापन रिश्तों की जान
संदेह तोड़ता रिश्ते
विश्वास जोड़े अनजानों को
तमन्ना निहारे मुक़द्दर
कोशिशें लाख सही
तकदीर का भी वजूद होता है
बदलाव है कुदरत
पर रिश्तों मे नही
जिंदगी के साथ
जिंदगी के बाद भी
@ अश्वनी कुमार जायसवाल