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3 May 2020 · 1 min read

रिश्ते

रिश्तों की गरमाहट मिट गई, लाज हया सब खत्म हो गई।
क्यों भाई से भाई लड़ रहा, बहन बहन से अलग हो गई।।
मात पिता ने दी थी शिक्षा, मिलजुलकर ही रहना सबको।
सीख धरी की धरी रह गई, क्षमता सुनने की ही गईं।।
मात पिता के निर्देशों से,पढ़ लिख कर सब ज्ञानी हो गए।
सब साधन सम्पन्न हो गए,और सबकी राहें अलग हो गईं।।
कैसा गैप ये जेनरेशन का,माँ की सीख सब खत्म हो गई।
माँ बेटे की सोच मिली ना,और बेटी तो खुद पैरों पर खड़ी हो गई।।
कैसा है यह दौर आज का,कैसी गलतफैमियाँ हो गईं ।
साथ ना रहता भाई भाई के,बहना भी ससुराल में खो गई।।
पहले जब सब संग रहते थे,माफ सभी वो कर देते थे।
सब कुछ हम सुन भी लेते,और कुछ भी किसी को कह देते थे।।
माफ करो और आगे बढ़ जा,यही हमें बस करना है।
अपनो को अपना मानें तो, माफ उसे ही करना है।।

विजय बिजनौरी

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 2 Comments · 317 Views

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