जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
आओ शाम की चाय तैयार हो रहीं हैं।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
गर मुहब्बत करते हो तो बस इतना जान लेना,
सपने देखने का हक हैं मुझे,
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
जीवन में जब तक रहें, साँसें अपनी चार।
मेरे दिल की गलियों में तुम छुप गये ऐसे ,
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
मुद्दतों से तेरी आदत नहीं रही मुझको
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
जाहि विधि रहे राम ताहि विधि रहिए
कविता - "करवा चौथ का उपहार"