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5 Oct 2024 · 1 min read

***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***

***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
******************************

रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया,
तन-मन तड़फे अगन लगे बदनिया।

मौसम आया प्रेम का,माही है प्रदेश,
जिया हो गया बावरा करता रहे क्लेश,
गेसू उलझे हैँ सुलझा जा साँवरिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।

गोरी-गोरी बाँहों में आकर समा जाओ,
नीले नैन राह ताकते अब न तड़फाओ,
दर पर बैठी कब से अकेली सजनिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।

मनसीरत माँग भरो तुम मेरी संदूर से,
भड़क रही है ज्वाला,जैसे तपे तंदूर से,
सज-धज आओ ले,जाओ दुल्हनिया।
रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया।

रिमझिम – रिमझिम बरसे रे बदरिया,
तन – मन तड़फे अगन लगी बदनिया।
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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