Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2024 · 4 min read

राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें

राष्ट्रभाषा -स्वरूप,चुनौतियां और संभावनाएं.
भाषा मानव सभ्यता का अभिन्न अंग है और राष्ट्र को एक पहचान देती है राष्ट्रभाषा राजनीतिक आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से राष्ट्र को सुदृढ़ बनती है,और, उसकी एकता अखंडता को अक्षुण रखने में सहायता करती है.

भारत विविधताओं का देश है.उसमें एक राष्ट्रभाषा जटिल मुद्दा है. राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के समक्ष कई चुनौतियां हैं.इसीलिए भारतीय संविधान राजकीय भाषाओं की बात करता है,राष्ट्रभाषा की नहीं.

परिचय –
भाषा मानव सभ्यता का अभिन्न अंग है. जन्म के बाद शिशु अपनी माता से संवाद सीखता है,जो,नैसर्गिक अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाता है. इस प्रकार भाषा व्यक्ति को उसके परिवार, समुदाय,समाज व राष्ट्र की पहचान से जोड़ती है.प्रत्येक भाषा का एक इतिहास होता है.जिससे उस देश एवं देशवासियों का सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक इतिहास से जुड़ा होता है.जैसे कि- वर्तमान भारतीय भाषा का विकास प्राचीन आर्यन संस्कृत एवं द्रविणतमिल ब्राह्मी से हुआ है. जिनके मध्य भी परस्पर आदान-प्रदान हुआ,जो, विविधता में एकता का परिचायक है.

राष्ट्रभाषा एवं उसका महत्व-

आधुनिक राष्ट्र राज्य में भाषा अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है, जो लोगों को एक सूत्र में जोड़ती है. राष्ट्रीय एकता को बढ़ाती है.
डॉ आंबेडकर ने भी एक राष्ट्रभाषा की महत्ता को भारत के परिपेक्ष्य में समझा और कहा कि- स्वतंत्र राष्ट्रीयता स्वतंत्र राज्य के बीच एक सकरी सड़क ही होती है. भाषा के आधार पर राज्यों का विभाजन उचित तो है,किंतु,यही भाषा उनको एक स्वतंत्र राज्य के रूप में विकसित करने में सक्षम है.
राष्ट्रभाषा भारत की परिपेक्ष में-

भारत एक राष्ट्र राज्य नहीं अपितु एक राज्य राष्ट्र है. अर्थात,इसमें कई सारी राष्ट्रीयतायें मिलकर भारतीय राष्ट्रीयता का समन्वय करती है. क्योंकि, भारत विविध धर्म,पंथो, भाषाओं,रीति रिवाज इत्यादि का अद्भुत संगम है. भारत की एकता का कारण ऐतिहासिक,धार्मिक,आत्मिक समरूपता में है,जहां,उसने हर धर्म पंथ समुदाय को अपना कर अपनी संस्कृति में ढाल लिया है.साथ में विभिन्न समुदाय एवं भाषाओं को पनपने व विकसित होने का अवसर भी दिया. भारतीय संस्कृति को कुछ शब्दों में व्यक्त करना हो, तो,हम कह सकते हैं वसुधैव कुटुंबकम.
अधिकतर भाषायें दो भाषा परिवारों से संबंधित है-
भारतीय आर्य भाषा समूह- हिंदी
उड़िआ, गुजराती, मराठी इत्यादि.

द्रविड़ भाषा समूह- कन्नड़,तेलुगू, तमिल,मलयालम आदि.
अतः है राष्ट्रभाषा का दर्जा एवं इसका निष्पादन,एक जटिल मुद्दा है जिसे स्वयं एक इतिहास है.

हिंदी के समक्ष राष्ट्र भाषा के रूप में चुनौतियां-
हिंदी को तकनीकी भाषा के रूप में उपयोग करने में कठिनता,क्योंकि, तकनीक विकास मुख्यतः पश्चिमी देशों में हुआ है. अतः पश्चिमी भाषाओं के शब्द ही मुख्यतः विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में प्रयोग किए जाते हैं,उनका हिंदी अनुवाद एक कठिन चुनौती है.
बढ़ती हुई क्लिष्टता –

हिंदी को शुद्ध करने एवं संपूर्ण भाषा बनाने के उत्साह में उसका संस्कृतिकरण आरंभ हो गया,और, वह सामान्य लोगों की जन भाषा से दूर होती गई,इसका लाभ अंग्रेजी ने उठाया.

अंग्रेजी भाषा की चुनौती-
वैश्वीकरण के इस दौर में अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है,यह एक तकनीकी भाषा के रूप में विश्व की सभी भाषाओं को चुनौती दे रही है. इसके अलावा भारत की राजकीय भाषा अंतर्राष्ट्रीय एवं मध्यस्थ भाषा के रूप में भी इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है.
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की भावनाओं का असर-

जब भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की कोशिश की गई इसका व्यापक राजनीतिक विरोध किया गया.क्योंकि क्षेत्रीय भाषा एक संवेदनशील मुद्दा है,और, लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है.

हिंदी के समक्ष राष्ट्रभाषा के रूप में संभावनाएं-
मीडिया एवं फिल्मों द्वारा प्रोत्साहन-

देशव्यापी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विस्तार ने हिंदी को देश के कोने-कोने में आसानी से पहुंचा दिया है.बॉलीवुड फिल्मों की बढ़ती हुई लोकप्रियता ने हिंदी को लोकप्रिय बनाया है.

इंटरनेट तकनीक द्वारा प्रोत्साहन-

हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषा आसानी से इंटरनेट में उपयोग लाई जा रही है. इसकी वजह से कंप्यूटर एवं स्मार्ट मोबाइल में भी हिंदी का उपयोग बढ़ रहा है.ब्लॉग,फेसबुक,ट्विटर इत्यादि हिंदी के उपयोग को नये कलेवर से प्रोत्साहित कर रहे हैं.

आर्थिक विकास द्वारा प्रोत्साहन-

देश का युवा रोजगार एवं आर्थिक विकास को प्राथमिकता देता है. दक्षिणी राज्य में इस वजह से हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ी है.

निष्कर्ष-

हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्वरूप अपनाने के लिए जरूरत है हिंदी भाषा की स्वीकार्यता को बढ़ाया जाए. इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं.
1-निरंतर प्रगति एवं विकास, भाषा को स्वस्थ्य एवं जीवित रखती है. इसके लिए अन्य भाषाओं संस्कृतियों से आदान-प्रदान आवश्यक है. इसलिए हिंदी को अपने शब्द कोष को कन्नड़, तमिल आदि क्षेत्रीय भाषाओं की सहायता से विस्तारित करना चाहिए,जैसे,ऑक्सफोर्ड का शब्दकोश लोकप्रिय लोक शब्दों को अपनाता है चाहे वह किसी भी भाषा का क्यों ना हो.
2-संविधान द्वारा अनुमोदित त्रिभाषी सूत्र का राज्य में कड़ाई से लागू किए जाने की आवश्यकता है.
3-हिंदी को विज्ञान तकनीकी इंटरनेट के नए साधनों से प्रोत्साहित करने की जरूरत है. हिंगलिश को तिरस्कार की दृष्टि से नहीं एक अवसर के रूप में देखना चाहिए, जो हिंदी को सरल बनाती है.
अतः हमें यह समझना चाहिए की हिंदी,राष्ट्र भाषा लोगों पर थोपने से नहीं हो सकती,बल्कि, एक जन आंदोलन के रूप में स्वयं ही उत्पन्न होनी चाहिए. तभी,हिंदी एक राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त कर सकती है.

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम ”
8/219 विकास नगर लखनऊ 226022
मोब.9450022526

Language: Hindi
Tag: लेख
108 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all

You may also like these posts

नशा
नशा
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
कुछ अनुभव एक उम्र दे जाते हैं ,
Pramila sultan
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
मैंने प्रेम किया और प्रेम को जिया भी।
लक्ष्मी सिंह
" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का शेर-
■ आज का शेर-
*प्रणय*
रिश्ते
रिश्ते
Punam Pande
Opportunity definitely knocks but do not know at what point - PiyushGoel
Opportunity definitely knocks but do not know at what point - PiyushGoel
Piyush Goel
कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा
SHAMA PARVEEN
कभी अकेले चल कर भी देखो
कभी अकेले चल कर भी देखो
Chitra Bisht
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
शरारती निगाह में वही हँसी खुमार है।
शरारती निगाह में वही हँसी खुमार है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मन के मीत
मन के मीत
Ramswaroop Dinkar
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
परछाईं (कविता)
परछाईं (कविता)
Indu Singh
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
बीते हुए दिन बचपन के
बीते हुए दिन बचपन के
Dr.Pratibha Prakash
दया दुष्ट पर कीजिए
दया दुष्ट पर कीजिए
RAMESH SHARMA
किताब
किताब
अवध किशोर 'अवधू'
Weekend
Weekend
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Bound by duty Torn by love
Bound by duty Torn by love
Divakriti
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
झूठ का आवरण ओढ़, तुम वरण किसी का कर लो, या रावण सा तप बल से
Sanjay ' शून्य'
#नवयुग
#नवयुग
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
ग़ज़ल _ मुकद्दर की पहेली 🥰
ग़ज़ल _ मुकद्दर की पहेली 🥰
Neelofar Khan
4707.*पूर्णिका*
4707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम
मिले बिना ही बिछड़ने का दर्द दे गए हो तुम"
शिवम "सहज"
जिन्दगी मे एक बेहतरीन व्यक्ति होने के लिए आप मे धैर्य की आवश
जिन्दगी मे एक बेहतरीन व्यक्ति होने के लिए आप मे धैर्य की आवश
पूर्वार्थ
डॉ. सत्यकेतु विद्यालंकार और विकीपीडिया
डॉ. सत्यकेतु विद्यालंकार और विकीपीडिया
Ravi Prakash
*Tapestry of Life*
*Tapestry of Life*
Veneeta Narula
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
आनंद प्रवीण
Loading...