Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Aug 2016 · 1 min read

रात हाथों में मेंहदी लगाती रही

मेरी क़िस्मत मुझे आज़माती रही
रंज देती रही दिल दुखाती रही
…….
ख़्वाब था जो कि आँखों में ठहरा रहा
नींद आती रही नींद जाती रही
…….
फिर जो देखा तो ये दिल ग़नी हो गया
आँख अश्कों के मोती लुटाती रही
…….
इक नज़र बेरहम थी सुकूं खा गई
इक कली दिल की थी खिलखिलाती रही
़़़़़़़़़़़़़़़़
चाँद पहलू से उठकर चला भी गया
रात हाथों मे मेंहदी लगाती रही
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
शाखे गुल बारहा मेरे इसरार पर
सर को अपने नफ़ी में हिलाती रही
…………..
नीलोफर नूर

3 Likes · 4 Comments · 304 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मन के सवालों का जवाब नाही
मन के सवालों का जवाब नाही
भरत कुमार सोलंकी
शादीशुदा🤵👇
शादीशुदा🤵👇
डॉ० रोहित कौशिक
अड़बड़ मिठाथे
अड़बड़ मिठाथे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*कालचक्र*
*कालचक्र*
Pallavi Mishra
"लाजिमी"
Dr. Kishan tandon kranti
#रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है
#रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*बोली ऐसी बोलिए, चुभे न कोई बात (कुंडलिया)*
*बोली ऐसी बोलिए, चुभे न कोई बात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन की ढलती शाम
जीवन की ढलती शाम
नूरफातिमा खातून नूरी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
Dr Archana Gupta
इश्क़ छुपता नही
इश्क़ छुपता नही
Surinder blackpen
कांटें हों कैक्टस  के
कांटें हों कैक्टस के
Atul "Krishn"
तेरे दुःख की गहराई,
तेरे दुःख की गहराई,
Buddha Prakash
जो नभ को कण समझता है,
जो नभ को कण समझता है,
Bindesh kumar jha
इंसान क्यों ऐसे इतना जहरीला हो गया है
इंसान क्यों ऐसे इतना जहरीला हो गया है
gurudeenverma198
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
"आज मैं काम पे नई आएगी। खाने-पीने का ही नई झाड़ू-पोंछे, बर्तन
*प्रणय*
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
एहसासे-दिल की है शिद्दत ही शायद,
एहसासे-दिल की है शिद्दत ही शायद,
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Vijay kumar Pandey
हार जाना चाहता हूं
हार जाना चाहता हूं
Harinarayan Tanha
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
शेखर सिंह
खुशियों की आँसू वाली सौगात
खुशियों की आँसू वाली सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जनवरी हमें सपने दिखाती है
जनवरी हमें सपने दिखाती है
Ranjeet kumar patre
कविता _ रंग बरसेंगे
कविता _ रंग बरसेंगे
Manu Vashistha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Deepesh Dwivedi
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
बचपन याद किसे ना आती ?
बचपन याद किसे ना आती ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सात रंग के घोड़े (समीक्षा)
सात रंग के घोड़े (समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"Looking up at the stars, I know quite well
पूर्वार्थ
Loading...