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15 Nov 2023 · 1 min read

रात बीती चांदनी भी अब विदाई ले रही है।

रात बीती चांदनी भी अब विदाई ले रही है।
भोर में नव चाहतें जब अंगड़ाई ले रही है।
दृश्य मनहर ले दिशाएं दृष्टिगोचर हो रही जब।
सूर्य की हर रश्मि आनंदित दिखाई दे रही है। ~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १५/११/२०२३

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