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27 Jun 2024 · 1 min read

रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,

रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
नई ज़िंदगी हमें अक्सर भुला रही थी,
हम सपनों में घूम चुके थे पूरी दुनिया,
जागे तो निंदिया गोद में सुला रही थी,

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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