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20 Oct 2016 · 1 min read

राजयोगमहागीता:: सारात्सार: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६७)

सारात्सार:: घनाक्षरी क्रमांक १
———–+-+———————–
एक ही परमेश्वर है, दूसरा नहीं कहो !
करो ज्ञानयोग को सहज या राजयोग ।
द्वैत की न भावना रखकर अद्वैत भाव ,
प्रेम निराकार से ही ,कीजिए ध्यान योग ।
कर्तापन अभिमान से होकर मुक्त आप ,
निर्विचार ,निर्विकार , कीजिए ज्ञान योग ।
आध्यात्मिक विकास में भी रुचि आप लीजिए ,
सभी समस्याओं का जानिए निदान योग।।( १/ २१!!

—– जितेंद्रकमलआनंद

Language: Hindi
196 Views
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