*राजनीति में नारे 【हास्य-व्यंग्य】*

*राजनीति में नारे 【हास्य-व्यंग्य】*
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राजनीति में नारों का महत्व विचारों से ज्यादा होता है । विचार व्यक्त करने में मेहनत लगती है । सुनने में भी समय लगता है । नारे रेडीमेड कार्य है । सेकंडो में लग जाते हैं और सुनने में भी आसानी रहती है।
नारों के साथ महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमेशा जोश में भर कर लगाए जाते हैं । विचार भले ही कोई आदमी धीमे-धीमे व्यक्त कर दे ,लेकिन नारे तेजी से और तेज आवाज में ही लगाने पड़ते हैं । कुछ लोग नारे लगाने के मामले में एक्सपर्ट होते हैं। जब नारे लगाने होते हैं ,तब उनको खासतौर पर माइक पर बुलाया जाता है । बढ़िया नारे लगाने वाला इस तरह से नारा लगाता है कि धरती और आकाश उस नारे से गूँज उठता है।
कुछ लोगों की आवाज भगवान की कृपा से इतनी जोरदार होती है कि उन्हें लाउडस्पीकर की आवश्यकता ही नहीं होती। कई बार जब पद-यात्राओं के समय लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध रहता है , तब ऐसे जोरदार आवाज वाले लोगों की माँग अद्भुत रूप से बढ़ जाती है । ऐसे लोग आसानी से नहीं मिलते कि जो बिना लाउडस्पीकर के नारा लगाएँ और आवाज लाउडस्पीकर के समान ही गूँज जाए । कुछ लोगों को सचमुच भगवान दुर्लभ कंठ देता है । मानो वह नारे लगाने के लिए ही पैदा हुए हों।
नारों का अपना एक मनोविज्ञान रहता है। नारे बहुत सोच-समझकर बनाए जाते हैं। उन्हें लगाते समय भी इस बात का ध्यान रखा जाता है कि नारा समय-अनुकूल हो। एक बार एक नेता जी चुनाव में वोट माँगने के लिए भीड़ के साथ घूम रहे थे । तभी किसी ने नारा लगा दिया -“जब तक सूरज चाँद रहेगा ,नेता जी का नाम रहेगा”। कुछ समझदार लोगों ने फौरन रुकवा दिया और कहा कि यह नारा अच्छा तो है लेकिन इस समय के अनुकूल नहीं है । आगे कभी मत लगाना ।
“जिंदाबाद” और “मुर्दाबाद”‘ के नारे बहुत लोकप्रिय हुए हैं । आमतौर पर नारे लोक-लुभावने होते हैं अर्थात उनको लगाते ही जनता भावनाओं में बह जाए ! जनता की भावनाओं को ध्यान में रखकर जो नारे बनाए जाते हैं, वह सफल रहते हैं ।नारों का काम ही भावनाओं की लहरों पर चलकर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचना है ।
एक नारा एक चुनाव में ही काम करता है । फिर समझदार लोग दूसरा नारा गढ़ लेते हैं । जनता पुराने नारे को भूल जाती है । नए नारे पर तालियाँ बजने लगती हैं । जब तक जनता है ,चुनाव है ,समस्याएँ हैं -नारे बनते रहेंगे और लगते रहेंगे । कुछ भी कहो -नारे बनाना बहुत दिमाग का काम होता है। जिन्होंने पहले आम चुनाव से लेकर आज तक नारे बनाए ,उन सब नारा-लेखकों को बधाई ।
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*लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
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