Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2023 · 2 min read

*राजनीति में दल बदलू की प्रजाति (हास्य व्यंग्य)*

राजनीति में दल बदलू की प्रजाति (हास्य व्यंग्य)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
समूचा राजनीतिक परिदृश्य दल बदलुओं से भरा पड़ा है । जिस पार्टी में चले जाओ ,एक ढूॅंढोगे चार मिल जाएंगे । वह चारों अपनी एक चौकड़ी बना कर बैठ जाते हैं और पांचवें को अपने गुट में शामिल करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं । स्थिति यह है कि पार्टियों के मंच पर पच्चीस प्रतिशत स्थान दल बदलूओं के लिए सुरक्षित हो गया है। दल बदलू को विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। जिस पार्टी में दल बदलू शामिल होता है ,उस पार्टी में उसका फूलों का हार पहना कर स्वागत किया जाता है । जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार कर यह आए हों या इन्होंने कोई महान कार्य किया हो। जिस पार्टी से दलबदलू जाता है ,उस पार्टी के भीतर एक सन्नाटा छा जाता है । पार्टी से कुछ कहते नहीं बनता कि यह व्यक्ति जो कल तक अच्छा था ,आज बुरा कैसे हो गया ?
दलबदल एक प्रकार की रासायनिक प्रक्रिया है जो दल बदलू नामक राजनीतिक प्रजाति के भीतर चुनाव आते ही उमड़ने-घुमड़ने लगती है। जैसे बरसात में मेंढक टर्र- टर्र करते हैं ,वैसे ही चुनाव के मौसम में दल बदलू टर्र-टर्र करना शुरू कर देते हैं । जिसे देखो इस टोकरी से उस टोकरी में कूदकर जा रहा है। पाँच साल से ज्यादा किसी एक पार्टी में टिके रहने पर दल बदलू को परेशानी होने लगती है । उसकी आत्मा उसे कचोटती है ,धिक्कारती है ,आवाज देती है -चल उठ, दल बदल । कब तक एक ही पार्टी में पड़ा रहेगा ? छोटी सी जिंदगी है । जब तक चार-छह बार दलबदल न कर लो, चैन से मत बैठना । जीवन का यही तो लक्ष्य है। संभावनाओं को टटोलो और एक दल से दूसरे दल में कूद जाओ ।
सभी पार्टियों में दलबदलू आपस में एक दूसरे से संबंध रखते हैं । मिलना-जुलना जारी रहता है । भले ही आज उनमें से कोई भी किसी भी दल में हो ,लेकिन मूलभूत रूप से वह दल-बदलू ही तो हैं ! उनका मूल स्वरूप “दलबदल” में निवास करता है । उनकी आत्मा दलबदल नामक शाश्वत-भाव में विलीन हो चुकी है । उनके लिए दलबदल एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । क्या फर्क पड़ता है -इस पार्टी में रहो या उस पार्टी में चले जाओ ? वह दार्शनिक मनोभाव को प्राप्त होने वाले जीव हैं। सब पार्टियों को एक दृष्टि से देखते हैं । जिसमें मौका मिले, घुस जाओ । पद पकड़ो ,टिकट मॉंगो ।जहॉं मौका लगे ,कुर्सी पकड़ कर बैठ जाओ। यही जीवन है । यह थोड़े ही कि एक पार्टी में पड़े-पड़े विचारधारा के नाम पर पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी ।
————————————————-
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

73 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
#लघुकथा / कॉलेज का आख़िरी दिन
#लघुकथा / कॉलेज का आख़िरी दिन
*Author प्रणय प्रभात*
नज़राना
नज़राना
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पितृ नभो: भव:।
पितृ नभो: भव:।
Taj Mohammad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
तूफ़ानों से लड़करके, दो पंक्षी जग में रहते हैं।
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
*जाता दिखता इंडिया, आता भारतवर्ष (कुंडलिया)*
*जाता दिखता इंडिया, आता भारतवर्ष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वीरवर (कारगिल विजय उत्सव पर)
वीरवर (कारगिल विजय उत्सव पर)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुहावना समय
सुहावना समय
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
तुम और बातें।
तुम और बातें।
Anil Mishra Prahari
बड़ी बात है ....!!
बड़ी बात है ....!!
हरवंश हृदय
विद्या देती है विनय, शुद्ध  सुघर व्यवहार ।
विद्या देती है विनय, शुद्ध सुघर व्यवहार ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हो नहीं जब पा रहे हैं
हो नहीं जब पा रहे हैं
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
🌺प्रेम की राह पर-45🌺
🌺प्रेम की राह पर-45🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किसकी किसकी कैसी फितरत
किसकी किसकी कैसी फितरत
Mukesh Kumar Sonkar
साधना से सिद्धि.....
साधना से सिद्धि.....
Santosh Soni
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बुद्धिमत्ता
बुद्धिमत्ता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सपनो में देखूं तुम्हें तो
सपनो में देखूं तुम्हें तो
Aditya Prakash
हवा
हवा
पीयूष धामी
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
देश के खातिर दिया जिन्होंने, अपना बलिदान
gurudeenverma198
प्रकृति
प्रकृति
नवीन जोशी 'नवल'
फूल और खंजर
फूल और खंजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बचपन का प्रेम
बचपन का प्रेम
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Sûrëkhâ Rãthí
बालीवुड का बहिष्कार क्यों?
बालीवुड का बहिष्कार क्यों?
Shekhar Chandra Mitra
तितली
तितली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मै भी हूं तन्हा, तुम भी हो तन्हा
मै भी हूं तन्हा, तुम भी हो तन्हा
Ram Krishan Rastogi
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
प्यार का पंचनामा
प्यार का पंचनामा
Dr Parveen Thakur
Loading...