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2 May 2022 · 1 min read

रफ़्तार के लिए (ghazal by Vinit Singh Shayar)

एक मेज़ की तलब है इंतज़ार के लिए
गुजरी है इक उम्र उनके दीदार के लिए

मुमक़िन है थाह लें औकात आज अपनी
लेकर दिल हम पहुँचे हैं व्यापार के लिए

इस मुसाफ़िर को भी कोई मंज़िल मिल जाए
हम फूल ख़रीद लाए हैं इज़हार के लिए

ये क्या किये कि आ पहुँचें वो फलों के साथ
कुछ और भी ला सकते थे बीमार के लिए

वो जो झलकता रहता है उनकी हिजाब से
इतना काफ़ी है धड़कन के रफ़्तार के लिए

~विनीत सिंह

Vinit Singh Shayar

3 Likes · 2 Comments · 320 Views
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