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1 Mar 2022 · 1 min read

*रठौंडा शिव मंदिर यात्रा*

*रठौंडा शिव मंदिर यात्रा*
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रामपुर । पाँच अगस्त 2015 बुधवार | सावन का महीना चल रहा है। अगस्त/सावन का पहला बुधवार है। अकस्मात चाय पीते-पीते धर्मपत्नी श्रीमती मंजुल रानी ने प्रस्ताव रखा कि रठौंडे के शिव मंदिर चला जाए। मैंने घड़ी की तरफ देखा । शाम के चार बजकर दस मिनट थे। तुरन्त दस मिनट के भीतर हम लोग रठौंडे की तरफ चल पड़े।
रास्ता सीधा-सादा था। शहर से सिविल लाइंस ,वहाँ से मोदी होटल/स्कूल – फिर धमोरा गाँव-कस्बा / फिर लगभग सुनसान जंगल-खेत/ फिर रठौंडा गाँव-कस्बा / यहीं पर प्रवेश करते ही मन्दिर का शिखर दूर से दिख जाता है।
आसमान में बादल छाए थे। रठौंडा- धमोरा आदि क्षेत्र काले घने बादलों से घिरा था। चारों तरफ हरियाली छाई थी। रास्ते में किसी जगह शायद पानी भी पड़कर चुका ही था ।
मंदिरर पहुँचे तो परम शांति थी। मनोरम वातावरण था। जब हम मंदिर के भीतर गए, तो हमारे साथ-साथ एक सज्जन-कुछ वृद्ध आयु से- हमारे साथ आ गए। यह श्री रामस्वरूप शर्मा जी थे,जो मन्दिर के पुजारी थे। उन्होंने हमें तिलक लगाया। प्रसाद दिया।
रामस्वरूप जी के पिता स्वर्गीय श्री रतनलाल जी की मूर्ति मन्दिर-परिसर में स्थापित है। आपके पूर्वज अनेक पीढ़ियों से पुजारी का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। आप लोग ग्वालियर स्टेट से यहाँ आए थे। तब रठौंडा ग्वालियर स्टेट में पड़ता था – ऐसा श्री शर्मा जी ने बताया । शाम घिरने लगी थी। हम साढ़े छह तक घर आ गए ।

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