■ कटाक्ष / ढोंगी कहीं के...!
है कुछ पर कुछ बताया जा रहा है।।
"नजीबुल्लाह: एक महान राष्ट्रपति का दुखदाई अन्त"
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आजकल की औरते क्या क्या गजब ढा रही (हास्य व्यंग)
💐प्रेम कौतुक-298💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चेहरे की मुस्कान छीनी किसी ने किसी ने से आंसू गिराए हैं
*हर ऑंगन हो उठे प्रकाशित तम को हरते-हरते (मुक्तक)* _____________________________
सुधार लूँगा।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
गर्मी का रेखा-गणित / (समकालीन नवगीत)
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने हाथ,
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
गोविंद से बड़ा होता गुरु है