रंग वासंती पीले (कुंडलिया )

रंग वासंती पीले (कुंडलिया )
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पीले फूलों से किया , कुदरत ने श्रंगार
खिली धूप अच्छी लगी , ज्यों नूतन संसार
ज्यों नूतन संसार , जगत् उत्साह जगाता
जगा देह में राग , भ्रमर गाता नित आता
कहते रवि कविराय , मस्तियों में अब जी- ले
अच्छा लगता स्वर्ण , रंग वासंती पीले
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रचयिता: रवि प्रकाश,
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451