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6 Mar 2023 · 1 min read

रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर

रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
प्रेम रंग गहरा चढ़े, उतरे न महावीर
उतरे न महावीर, सजन मारे पिचकारी
सजनी लिए गुलाल, खड़ी कबसे बेचारी
प्रेम रंग के बीच, चले खेल उमंगों का
जग में ऐसा पर्व, नहीं दूजा रंगों का

2 Likes · 1 Comment · 314 Views
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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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