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30 Jul 2018 · 1 min read

ये यार तेरा साथ निभाने का का शुक्रिया

ग़ज़ल (बह्र-मज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फूफ़ मक्फूफ़ महज़ूफ

ऐ यार मेरा साथ निभाने का शुक्रिया।
दो ग़ज ज़मीन में भी दबाने का शुक्रिया।।

तूने किया फ़रेब मेरी आंख खुल गई।
मैं सो रहा था मुझको जगाने का शुक्रिया।।

जो ठोकरें मिली तो सँभलना सिखा गईं।
राहों के पत्थरों का गिराने का शुक्रिया।।

दिल का गुबार साफ है आंखें भी नम नहीं।
जी भर के तेरा मुझको रुलाने का शुक्रिया।।

दुनिया से नेकियों का सिला भी बदी मिलें।
दे दी है कि ख़ूब सीख ज़माने का शुक्रिया।।

हर पल “अनीश ” दिल ने किया याद जो तुझे।
मेरे ख़याल में तेरे आने का शुक्रिया।।

@nish shah

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