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20 Aug 2021 · 1 min read

ये मंजर फिर बदल जायेगा

ये मंजर फिर बदल जायेगा
आज फिर बीता हुआ कल
हो जाएगा
दुख के बादल फिर छट जाएंगे
हर इंसान फिर मुस्कुराएगा
एक बार फिर चाँद जगमगायेगा
फिर सितारा झिलमिलायेगा
खिल उठेगी कली फिर से
गुलशन फिर से महक जाएगा
सुने रास्ते फिर बदल जाएंगे
उदास चेहरे फिर खिल जाएंगे
मौत से परे फिर एक नव जीवन
का संचार होगा
ये काले बादल फिर हट जाएंगे
एक नए सवेरे का फिर से आगाज होगा
न रहेगी फिर कोई राह जनाज़े से भरी
हर गली फिर सजेगी हर चौराहा फिर
शामियाना हो जाएगा।।

कविता चौहान

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Comments · 212 Views
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