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16 Nov 2022 · 1 min read

ये बारिश के मोती

खिड़की के शीशे पर ये बारिश के मोती।
खनके ऐसे जैसे पांव में पायल होती।

ऊपर से नीचे तक शीशे पे बूंदें है बहती
कुछ भी स्थिर नहीं ,हमसे है कहती।

धुंधला सा दिखने लगा शीशे के उस पार
समझा रही जैसे ,खोल मन के द्वार।

कानों में ये टिप टिप जाती है रस घोलती
बंद आंखों में भी ,कितने दृश्य खोलती।

मंदिर की घंटी और सुबह की अज़ान सी
कहने को ये टिप टिप है बेजान सी।

अश्क हर आंख का खुद में छुपा लेती है ये
सिमट कर धरा में ,उसे महका देती है ये।
सुरिंदर कौर

Language: Hindi
Tag: Rain Drops
66 Views
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