Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Sep 2024 · 1 min read

ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,

ये जो अशिक्षा है, अज्ञानता है,
जीवन में नासमझी का घोर अंधेरा व्याप्त है ।
जग रोशन करने वाले गुरु,
इनके लिए तुम्हारा एक सबक ही पर्याप्त है ।।

23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी
Mangilal 713
2441.पूर्णिका
2441.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
संवेदना सुप्त हैं
संवेदना सुप्त हैं
Namrata Sona
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
रखकर हाशिए पर हम हमेशा ही पढ़े गए
Shweta Soni
मन तो मन है
मन तो मन है
Pratibha Pandey
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
चितौड़ में दरबार डोकरी
चितौड़ में दरबार डोकरी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कोंपलें फिर फूटेंगी
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
आत्म अवलोकन कविता
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
" मुशाफिर हूँ "
Pushpraj Anant
दोनों हाथों की बुनाई
दोनों हाथों की बुनाई
Awadhesh Singh
विष बो रहे समाज में सरेआम
विष बो रहे समाज में सरेआम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
पूर्वार्थ
तुम्हारी जय जय चौकीदार
तुम्हारी जय जय चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
दिल का तुमसे सवाल
दिल का तुमसे सवाल
Dr fauzia Naseem shad
सत्य = सत ( सच) यह
सत्य = सत ( सच) यह
डॉ० रोहित कौशिक
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
सच्ची होली
सच्ची होली
Mukesh Kumar Rishi Verma
किसी ने आंखें बंद की,
किसी ने आंखें बंद की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
"जियो जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*******खुशी*********
*******खुशी*********
Dr. Vaishali Verma
एक ही तारनहारा
एक ही तारनहारा
Satish Srijan
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
Sangeeta Beniwal
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
Kalamkash
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...