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6 Jul 2019 · 1 min read

ये खामोशियां

खामोशी

न कह कर भी
बहुत कह
जाती है खामोशी
दर्द दिल में
समेटे रहती है
मुस्कान चेहरे
पर रहती है

खामोशी
नहीं होती
गर मेरे दोस्त
राज छिपे न होते
दिल में

सहन करने की
ताकत रखती हैं
ये खामोशियां
कह देते तो
ये होती
फरामोशियां

अब चुप
न सहन जाता है
अब चुप
रहा न जाता है
कुछ तो बोल दे
दिले – ऐ – जिगर
बना रही है पागल
ये खामोशियां

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
Tag: कविता
195 Views

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