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8 Jun 2024 · 1 min read

ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं

ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं

ये होठ मेरे सूखे नहीं
रिसते लहू की है परत

बस अंत की बाट जोहती
आंखों में समुन्दर ना देख

ये गुजरे समय का रेगिस्तान है

1 Like · 125 Views
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