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18 May 2023 · 1 min read

यूं ही आत्मा उड़ जाएगी

पतंगें उड़ रही थीं
हाँ …
पतंगें उड़ रही थीं।

काली, नीली, पीली, लाल
हरी, जामुनी और नारंगी।

कि पक्षी जा रहे थे
हमें यूं बता रहे थे।

यह ज़िन्दगी
छोटी सी है
आखिर सभी ने जाना।

इस दुनियां में …
इस घर में
इस गाँव में …
नगर में
‘तनपुर’ में।

नहीं है
किसी का भी
पक्का ठिकाना।

पतंगें उड़ रही थीं
वो ज्यूं बता रही थीं।

यूं ही आत्मा उड़ जायेगी,
उस दीप में मिल जायेगी।

बनाया जिस ने सब को है
कि
मिलना जिस में सब को है।

कि पक्षी जा रहे थे
वो यूं बता रहे थे।

आज यहाँ तो कल वहाँ
रहना किस को है यहाँ
क्षण-भंगुर है जहाँ।

पतंगें उड़ रही थीं
कि पक्षी जा रहे थे।

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