Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2022 · 2 min read

युद्ध सिर्फ प्रश्न खड़ा करता है [भाग२]

युद्ध में अपने बेटे को खो चुकी ,
एक बुढ़िया की कराहने की आवाज,
दूर-दराज तक सबको रुला रही थी।
उसका बेटा युद्ध का भेट चढ गया था।
उसका शरीर क्षत-विक्षत होकर
चारो तरफ बिखरा पड़ा था।
बुढ़िया विक्षिप्त सी हुई,
इधर-उधर भाग कर
अपने बेटे का अंग को समेटने
में लगी हुई थी।

जिस आँचल में उसने कभी ,
अपने बेटे को छुपाया करती थी।
आज उसी आँचल में वह अपने,
बेटे का अंग समेट रही थी ।

कुछ अंग मिल रहे थे कुछ नही ।
पर उसकी नजरे बेटे के अंग को,
ढूँढने में लगातार लगी हुई थी।

बार-बार उसके दिल से
कराह निकल रही थी।
तू मुझे छोड़कर क्यों चला गया ,
ऐसा वह बार-बार बोल रही थी।
अब कौन मुझे माँ बुलाएगा?

कौन बनेगा इस बुढापे का सहारा?
कौन इस बुढ़िया को अब देखेगा ?
ऐसा वह बेटे के क्षत-विक्षत अंग,
देखकर आवाज लगा रही थी।

उसके आँखों के आँसू भी,
अब पत्थर के हो गये थे।
आँसू भी कहाँ उस बुढ़िया का,
साथ निभा रही थी।

वह बार-बार उस युद्ध को
कोस रही थी ।
जिस युद्ध ने उसके लाल को
उससे छिन लिया था।

वह कहां कभी जीवन भर
खुद को सम्भाल पाती है।
उसकी नजरे हर समय बेटे के अंग को ,
ढूँढ़ने में ही रह जाती है।

बार- बार उसके मुख से यही
बोल तो निकलते है,
मेरे बेटे का एक हाथ ही मिल पाया था।
उसके पैर का तो पता ही न चल पाया था।

मैंने तो अपने बेटे का
पूरा अंग भी न जला पाई थी।
उसका बचा हुआ अंग
आज तक कहाँ मुझे मिल पाया है ।

आज भी वह बुढ़िया
यही बड़बड़ा रही है
और उसके नजरें आज भी
बेटे के अंग की
तलाश कर रही है।

युद्ध क्यों हुआ था?
उससे हमें क्या मिला?
आज भी वह इसका
उत्तर ढूँढ रही है।
आज भी अपने मन में
प्रश्न लिए खड़ी है!

~अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
Ashish shukla
2313.
2313.
Dr.Khedu Bharti
संत कबीर
संत कबीर
Lekh Raj Chauhan
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
एक पत्नि की पाती पति के नाम
एक पत्नि की पाती पति के नाम
Ram Krishan Rastogi
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Khuch wakt ke bad , log tumhe padhna shuru krenge.
Sakshi Tripathi
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आप और जीवन के सच
आप और जीवन के सच
Neeraj Agarwal
छोटी-छोटी बातों से, ऐ दिल परेशाँ न हुआ कर,
छोटी-छोटी बातों से, ऐ दिल परेशाँ न हुआ कर,
_सुलेखा.
रूठते-मनाते,
रूठते-मनाते,
Amber Srivastava
दिल की हक़ीक़त
दिल की हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
अग्नि पथ के अग्निवीर
अग्नि पथ के अग्निवीर
Anamika Singh
कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी।
कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी।
Mahendra Narayan
हिंदी दोहा शब्द- घटना
हिंदी दोहा शब्द- घटना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हास्य का प्रहार लोगों पर न करना
हास्य का प्रहार लोगों पर न करना
DrLakshman Jha Parimal
आस्था और चुनौती
आस्था और चुनौती
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*तुष्टीकरण : पाँच दोहे*
*तुष्टीकरण : पाँच दोहे*
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-323💐
💐प्रेम कौतुक-323💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कपूत।
कपूत।
Acharya Rama Nand Mandal
काश मणिपुर में वे उन्हें अपनी बहन समझते
काश मणिपुर में वे उन्हें अपनी बहन समझते
राकेश कुमार राठौर
!! लक्ष्य की उड़ान !!
!! लक्ष्य की उड़ान !!
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
ये लब कैसे मुस्कुराए दे।
ये लब कैसे मुस्कुराए दे।
Taj Mohammad
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
✍️सुलगता जलजला
✍️सुलगता जलजला
'अशांत' शेखर
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
कविता
कविता
ashok dard
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
एक वह है और एक आप है
एक वह है और एक आप है
gurudeenverma198
Loading...