या तो सच उसको बता दो

या तो सच उसको बता दो, या खामोश रहो तुम।
या तो उससे मिल लो तुम,या फिर दूर रहो तुम।।
या तो सच उसको ———————-।।
तुम कहते हो सभी से,हाले – दिल अपना ऐसे।
यह भी मालूम है तुमको, यहाँ पर लोग है कैसे।।
दूर कब दर्द किया है, इनसे कुछ नहीं कहो तुम।
या तो उससे मिल लो तुम, या फिर दूर रहो तुम।।
या तो सच उसको ———————-।।
कसूर इनका क्या है, झगड़ते हो क्यों इनसे।
बिगाड़ा क्या है इन्होंने, लड़ते हो क्यों इनसे।।
जिसने गम तुमको दिया है, उसी को रुलावो तुम।
या तो उससे मिल लो तुम, या फिर दूर रहो तुम।।
या तो सच उसको——————।।
देखकर उसकी सूरत, निकलते हो उसके करीब से।
बात क्यों नहीं की उससे, अपने उस दोस्त- नसीब से।।
या तो यह नफरत मिटा दो,या बना तो दुश्मन तुम।
या तो उससे मिल लो तुम,या फिर दूर रहो तुम।।
या तो सच उसको——————–।।
इससे अब होगा भी क्या, रोज जो लिखते हो खत।
बहाते तो आँसू यह तुम, छुपाकर उससे मोहब्बत।।
देखना क्या अब अंजाम, खत्म किस्सा करो तुम।
या तो उससे मिल लो तुम, या फिर दूर रहो तुम।।
या तो सच उसको ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)