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30 Mar 2020 · 1 min read

याद आता बीता जमाना

याद आता वक्त पुराना
********************

समय याद आता है पुराना
प्रेम भरा था बीता जमाना
रिश्ते-नाते सभी थे जिन्दा
दादा-दादी औरनानी-नाना
सांझे चूल्हे पे भोजन बनता
सबको मिलता था निवाला
संयुक्त परिवारों का था दौर
प्रेम दिल में सब के पनपता
चाचा, बुआ, मौसी व मामा
मिलता था साथ वो सुहाना
ताया,ताई,देवर,भाई- भाभी
रूठ जाना और मान जाना
बड़ों के रौब के सदैव नीचे
छोटों को पड़ता था रहना
घर में ही मेला सा था लगता
लगा रहता था आना-जाना
टोली में खेलते थे हमजोली
मस्तों का टोल था मस्ताना
छत नीचे कुटुम्ब था पलता
सादा था दूध दही का खाना
समय बहुत था भाग्यशाली
चलता खोटा सिक्का पुराना
संस्कृति- संस्कार थे पनपते
जिन्दा था हमारा भाईचारा
दुख सुख में सभी भागीदार
कष्ट कट जाता मिल सारा
जीवन की सरल डगर थी
मिल जाती मंजिल ठिकाना
बोलों में मिसरी सी घुली थी
प्रीत रीत का ढंग था सुरीला
दिल के दिल से थे वो रिश्ते
हरा भरा था घर आशियाना
दिल पक्के मकान थे कच्चे
ना था मन में कपट घोटाला
सुखविंद्र आँखे हैं भर आती
जब याद आता वक्त पुराना

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: कविता
349 Views

Books from सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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