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29 Sep 2016 · 1 min read

यादों के चिराग

दुनिया की नजरों से दूर दिल में बसाये रखा,
तेरी यादों के चिरागों को मैंने जलाये रखा।

पहली मुलाकात वो मीठी बात, भूले से नहीं भूलता दिल।
मिलता तेरा साथ होती जवां रात, रौनक होती महफ़िल।
शमाँ को बुझाकर प्यार से दिल को जगमगाये रखा।।

इजहार ऐ मोहब्बत वो पहला खत, सीने से लगा रखा।
नहीं आदत करूँ शिकायत, यादों से कमरा सजा रखा।
तेरी हर निशानी को सबसे आज भी छिपाये रखा।।

थी मजबूरी मिली जो दुरी, किस्मतों का सारा ये खेल।
हुई पूरी तमन्ना अधूरी, जो हुआ हमारे दिलों का मेल।
चाहतों को दिल ही दिल में हमने दबाये रखा।।

तेरी यादों को अपने जज्बातों को दिल में पाले हुए हूँ।
काली रातों को नैना की बरसातों को संभाले हुए हूँ।
मिलन होगा सुलक्षणा से दिल को समझाये रखा।।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

1 Comment · 324 Views
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