यादें 🥀🌔

यादें जो है मेरी ,
मगर याद किसी और की दिलवा रही है।
डर किसी का नहीं मुझे,
मगर ना जाने क्यों ये मुझे डरा रही है।
खोफजदा करती है ये मुझे,
और यही मेरी हिम्मत बढ़ा रही है,
मेरी सोच को, एक नए सिरे में ढलवा रही है।
ना जाने स्कंदा क्यों है लगता मुझे ,
यह तुझे अंदर ही अंदर खा रही है।।२
यूं तो टिप्पणी करना दूसरो पर पसंद नहीं मुझे,
मगर यह चीख – चीखकर दूसरो की हकीक़त मुझे बता रही है।
यह यादें भला है क्या ??
जो हर वक़्त मुझे सता रही है,
हर वक़्त यह मुझे दूसरों की याद दिलवा रही है।
🦋 स्कंदा जोशी