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19 Feb 2023 · 2 min read

“यादें अलवर की”

कैसे कैसे बीते थे वो सवा तीन साल वहां
झील का पानी और प्रकृति की खूबसूरती
विशालकाय पहाड़ों का मौन सा बतियाना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
सिलीसेढ़ झील का ऊपरी तट का वो छोर
नीचे की तलहटी में लुत्फ स्पीड बोटिंग का
नन्हें बंदरों का हाथ से कॉल्ड ड्रिंक्स छीनना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
नीचे उतरकर ठहरे हुए पानी को निहारना
उछलती छोटी मछलियो को दाना खिलाना
पीछे की तरफ से अंतिम छोर तक जाना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
देशी ठाठ की पाल से सिलीसेढ़ को ताकना
रामबिहारी में बच्चों का फुटबॉल खेलना
उबड़ खाबड़ रास्तों से कार को मचकाना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
नीलकंठ महादेव का पहाड़ी से दुर्गम रास्ता
सावन मास में नलदेश्वर का रंगीन नजारा
बादलों के ऊपर जाकर गुब्बार से बतियाना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
अजबगढ़, भानगढ़ का वो भयावह अनुभव
कांकरवाड़ी किले में ओरंगजेब का इतिहास
कुंवारे किले नामक बाला किला की अखंडता
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
बायोडायवर्सिटी पार्क के जिम और झूले
देशी चूल्हे की देशी थाली और गुड़ की डली
दधिकर किले में आया महाराजा सा एहसास
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
गरबा जी का वो शांत खिन भिन बूढ़ा पहाड़
कैन्हिया स्वीट्स की कढ़ी कचोरी का स्वाद
सरिस्का के जंगल में जीप की रोमांचक सवारी
जंगली जानवरों का सामाजिक सा पर्यावरण
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
होप सर्कस की वो महिलाओं वाली शोपिंग
छोटे से शहर में खुली खुली गलियां और रोड़
इंदिरा गांधी स्टेडियम में सुबह शाम अभ्यास
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
नारायणी माता की सती हुए जो सुनी कहानी
भृतहरी महाराज के चिमटे से गंगा निकलनी
एक साथ अनगिनत मूर्तियों का प्यारा स्थान
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
पांडूपोल में हनुमान की गदा का पहाड़ी छेद
भुरासिद्ध हनुमान की फैली हुई वो मान्यता
पाराशर महाराज का पहाड़ में पवित्र स्थान
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
रूप बास के मेले की वो चहल पहल मस्ती
मोती डूंगरी का मंदिर मस्जिद की संग पूजा
वीरवार को भेलपुरी संग शहर को निहारना
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
मत्स्य उत्सव का शहरवासियों का उत्साह
चिड़ियों की चीं चीं, मयूर का बादली नृत्य
मन की शांति, हृदय का वास्तविक सुकून
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है,
मगरमच्छ के देखे जो दुख भरे गीले नयन
सैकड़ों किलों का दब गया है जो इतिहास
मजबूत हुआ प्रकृति संग पूनिया का रिश्ता
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है।
बारिश के मौसम की अद्भुत अलवरी दास्तां
प्रकृति के साथ घंटों बैठ मीनू का बतियाना
जिंदगी का सबसे सुखद और प्यारा अहसास
आज प्यारा अलवर अक्सर याद आता है।

Language: Hindi
1 Like · 58 Views
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