यह तो बाद में ही मालूम होगा

अभी तो मैं कर रहा हूँ,
तुमको प्रेमदान इस हालत में भी,
फिलहाल नहीं चाहता मैं,
तुमसे दूर होना और बेवफा,
और करना दूसरी तरफ गमन,
कल चलूंगा किस पथ पर,
कल होगी कौनसी कहानी,
कल किससे होगा कैसा रिश्ता,
यह तो बाद में ही मालूम होगा।
क्या होगा उस कहानी का अंत,
जो लिख रहा हूँ मैं अभी,
कितना होगा उसमें परिवर्तन,
देख रहा हूँ जो पीड़ा अभी,
जला रहा हूँ अभी तो चिराग,
अपनी उम्मीदों और मोहब्बत के,
सजा रहा हूँ अभी सपनें,
तुमको बसाने को इस घर में,
आबाद यह घर कितना होगा,
यह तो बाद में मालूम होगा।
नजर आ रही है अभी तक तो,
लोगों से जुड़ी हुई मेरी डोर,
आबाद यह चमन अपना,
लग तो रहे हैं अभी सभी,
मुझसे खुश और संतुष्ट,
दे रहे हैं अभी तो सभी,
मुझको सम्मान और प्यार,
लेकिन कल जब होगी,
मेरी बर्बादी और बेज्जती,
तो क्या तब भी सभी,
देंगें सभी मेरा साथ,
यह तो बाद में ही मालूम होगा।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)