यह तो आदत है मेरी

यह तो आदत है मेरी, बातें जिंदगी की लिखना।
मगर तुम यह नहीं कहना, किसी का मैं हूँ दीवाना।।
यह तो आदत है मेरी———————।।
किसी की तारीफ की है , मगर मतलब यह तो नहीं।
प्यार है मेरे दिल का वह, हकीकत यह तो नहीं।।
तुमसे शिकवा क्या मुझको, तुमसे क्यों सच को छुपाना।
यह तो आदत है मेरी———————।।
भूल क्यों जाता हूँ मैं, मिलता नहीं क्यों मुझको वक़्त।
मैं हूँ मतलबी शायद, या फिर बेखबर हूँ बहुत।।
किसकी जरूरत है मुझको, किसको है अपना बनाना।
यह तो आदत है मेरी——————–।।
साफ मतलब है मेरा, उसी का साथ मैं दूंगा।
जिसकी हो रूह पवित्र, इज्जत उसी को दूंगा।।
चाहता हूँ ऐसा ही दोस्त, झूठ नहीं तुमको कहना।
यह तो आदत है मेरी———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)