*यह ज़िन्दगी*

*यह ज़िन्दगी*
जब भी मिले बेवजह मुस्कुराती है,
अपनापन दिखाती है,
बहुत भोलेपन से, तुम्हारी आरज़ूओं को नटखट इशारों में चरमतम उकसाती है।
बर्बाद कर देगी बुरी तरह से यह ज़िन्दगी,
इससे थोड़ी दूरी बनाये रखना,
मिलना ही बचा अगर आखिरी विकल्प,
तो मिलते समय थोड़ी होश बचाये रखना।
डॉ राजीव
चंडीगढ़।