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20 Apr 2024 · 1 min read

“यह कैसा दौर”

“यह कैसा दौर?”
भूखे को अब न भोजन देते
न प्यासे को पानी,
रुग्ण होती जा रही मानवता
कोरे बँट रहे ज्ञान।
भूख से नन्ही जान तरसती
बुतखानों की सीढ़ी पे,
लाखों-करोड़ों का जबकि
कर देते हैं दान।

3 Likes · 3 Comments · 88 Views
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