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31 Jul 2016 · 1 min read

मैने तुम पर गीत लिखा है

एक नही सौ-२ है रिस्ते
है रिस्तो की दुनियादारी,
कौन है अपना कौन पराया
जंजीरे लगती है सारी
तोड़के दुनिया के सब बंधन
तुमको अपना मीत लिखा है||
मैने तुम पर गीत लिखा है…

देख कर तुमको सोचा मैने
क्या इतनी मधुर ग़ज़ल होती है?
जैसे तू ज़ुल्फो को समेटे
वैसे क्या रागो को पिरोती है?
खोकर तेरे अल्हड़पन मे
तेरी धड़कन को संगीत लिखा है||
मैने तुम पर गीत लिखा है…

क्या मोल है तेरा ये बतला,
अपना अभिमान भी बेच दिया
पाने की खातिर तुझको,
मैने सम्मान को बेच दिया
सबकुछ खोकर है तुमको पाना
हार को अपनी जीत लिखा है||
मैने तुम पर गीत लिखा है…

कवि:- शिवदत्त श्रोत्रिय
09158680098

Language: Hindi
2 Comments · 342 Views
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