Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2022 · 2 min read

मैथिली भाषा नामकरण

सबसँ प्राचीन नाम जाहिसँ मैथिली भाषा संबोधित कएल जाइत छल से प्रमाणिकतया बुझाइत छै अवहट्ट अथवा तिरहुता-अपभंश छल! इ अपभ्रंश शब्द मिथिलामे लौकिक संस्कृत एंव प्राकृत सभसँ पृथक भाषाक रूपमे अथवा तिरहुतक स्थानीय बोली रूपमे जानल जाइत छै,जकरा महाकवि विद्यापति अपना रचनामे देसिल बयना या देसिल भाषा कहैत छथि!मध्ययुगीन मे मैथिली नामक कोनो चर्चा नहि भेटैत छै! अमीर खुसरो द्वारा बंगाल सँ पृथक कोनो गौङक भाषाकेँ मिथिलाक भाषा दिस संकेत भेटैत छै! मुदा एहि भाषाक लेल मैथिली शब्दक प्रयोग नहि कयल गेल अछि ! अंग्रेजक आगमनक बाद भारतमे नव परम्परा आयल! भाषा लिपि एंव संस्कृति पर अनुसंधानित अध्ययन आरम्भ भेल! एहि क्रममे सर्वप्रथम भारतीय भाषा सर्वेक्षण रूप के अल्फाबेटिकम ब्राह्मणानिकम नामक 1771 ई.क ग्रंथमे तिरूतिआना नामसँ मैथिली भाषाक वर्णन भेटैछ! कारण प्रदेशक नाम तिरहुता सेहो छल! 1801 ई0 मे एच टी कोलब्रुक नामक अंग्रेज अपन पुस्तक एशिआटिक रिसर्चेज मे एहि प्रदेशक भाषाक लेल mithelee वा mythili शब्दक प्रयोग भेल छै! एकरे अनुकरण करैत सर विलियम केरी एकर नामकरण mythilee कयलनि! 1853 मे सर अर्सकिन पेरी एकरा तिर्हुती नामकरण करैत छथि! एकरा बंगला भाषाक अन्तर्गत रखलन्हि! तहिना सर जान बीम्स 1867 मे एकरा माइथिली कहि हिन्दी भाषाकेँ अंतर्गत रखैत छथि !जार्ज केम्पबेल (1874ई0 मे) एकरा नवीन बिहारी भाषा कहि स्थिर कएलनि! एस एच केलोग 1876 ई0 मे मैथिलि केँ अवधी आदिक समान पूर्वी आ पुर्वीय हिन्दीक शाखा मानलनि आरो इहो घोषणा कएलनि जे ई पश्चिमी हिन्दी पंजाबी, आ बंगाला जँका पूर्णतः भिन्न भाषा छै! जे गर्सो द कुन्हा (1881 ई0 मे) मैथिलीमे कोंकनी से निकटतम संपर्क देखलनि आओर संगे भारत नेपाल आदि देशक भाषा आ बोली मे मैथिली कतेक फराक निरंतर शोध होइत रहल !आओर अंतमे जार्ज अम्र्बाहम ग्रियर्सन (1881-82ई० )एकरा बिहारी नामक कपोल कल्पित भाषाक अन्तर्गत रखलनि, यदपि वैहए मैथिली ग्रामरमे (1881-82ई0 मे) निम्नलिखित मत सेहो प्रतिपादन कयलनि -मैथिली एक गोट भाषा थिक बोली नहि थिक! ओरो लाखो जनसमुदायक जन्मजात मौलिक सहज भाषा छै जे बिना नितान्त कष्टेँ हिन्दी वा उर्दूकेँ ने बाजि सकैत छैक आ बुझि सकैत छैक! ई हिन्दी ओ बंगला दुनुसँ शब्दावली एंव व्याकरणमे पृथक छै आओर दुनुमे प्रत्येकसँ ततबे भिन्न भाषा छै जतबा मराठी वा उड़िआ आ प्रत्येक वस्तुपर स्वाभाविक गर्व छै! मुदा बंगला,उड़ीआ,असामी प्रेमी विधापति, गोविन्द दास आ लोचन, भवप्रितानंद ओझा,शंकरदेव मैथिलीक लेखक ओ कविकेँ बंगला उड़ीआ,असामी साहित्यक अंश मानैत छथि! तहिना हिन्दी प्रेमी विधापति आ आन लेखक सभकेँ हिन्दी साहित्यक मानैत छथि! मुदा आब एहि प्रकारक विवादसँ मैथिली मुक्त छै आ 2003 ई0 मे भारतीय संविधानक अष्टम् अनुसूचीमे स्वतंत्र भाषाक रूपमे शामिल कयल गेल!

© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 1401 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक वो भी दौर था ,
एक वो भी दौर था ,
Manisha Wandhare
पाती पढ़कर मीत की,
पाती पढ़कर मीत की,
sushil sarna
कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
।।
।।
*प्रणय प्रभात*
मित्र
मित्र
Dhirendra Singh
बेरोजगारी का दानव
बेरोजगारी का दानव
Anamika Tiwari 'annpurna '
तेरे  कहने पे ही तुझसे,किनारा कर लिया मैंने
तेरे कहने पे ही तुझसे,किनारा कर लिया मैंने
Dr Archana Gupta
शीर्षक - सोच और उम्र
शीर्षक - सोच और उम्र
Neeraj Agarwal
पढ़ता  भारतवर्ष  है, गीता,  वेद,  पुराण
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
Anil Mishra Prahari
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
मुलाक़ातें ज़रूरी हैं
Shivkumar Bilagrami
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
इस उजले तन को कितने घिस रगड़ के धोते हैं लोग ।
Lakhan Yadav
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
अपना सिक्का खोटा था
अपना सिक्का खोटा था
अरशद रसूल बदायूंनी
पुनर्जागरण काल
पुनर्जागरण काल
Dr.Pratibha Prakash
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
"इच्छाशक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या छिपा रहे हो
क्या छिपा रहे हो
Ritu Asooja
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अमर शहीदों के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम
अमर शहीदों के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिल की बात
दिल की बात
Bodhisatva kastooriya
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
जितना आपके पास उपस्थित हैं
जितना आपके पास उपस्थित हैं
Aarti sirsat
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
gurudeenverma198
!........!
!........!
शेखर सिंह
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
*ऐसा स्वदेश है मेरा*
Harminder Kaur
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Kumud Srivastava
Loading...