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6 Jun 2021 · 1 min read

मैं

मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा ।
मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा ।
एक चमन-ओ-अमन की चाहत में ,
नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@….

Language: Hindi
546 Views
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