Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2022 · 1 min read

मैं हूँ किसान।

मैं हूँ एक किसान ,
मिट्टी है मेरे लिए भगवान ।
वह है मेरी शान,
और मैं उसका हूँ सन्तान।

जब पसीना मेरा बहता है,
तब जाकर भोग मिट्टी पर
चढता है।
फिर प्रसाद रूप में मुझको,
मिलता है अन्न का दान।

पत्थर का सीना चीरकर मैं
उसको उपजाऊ बनाता हूँ।
धरती को अपनी मेहनत से,
मैं उसको पिघलाता हूँ।

कई जतन करने के बाद ,
मैं उसपर फसल उगाता हूँ।
कितने तपस्या के बाद मैं
अन्न का दाना पाता हूँ।

सुरज की किरणे जब मेरे
बदन को तपाती है,
तप कर मेरा बदन जब
काला पर जाता है।
तब जाके खेतों पर अपने
मैं हरियाली ला पाता हूँ।

बारिश में भीग-भीगकर
मैं फसल लगाता हूँ।
चाहे मूसलाधार बारिश हो
पर मै कहाँ हार मानता हूँ।

ठंड मै ठिठुरती जब दिन-रात होती है,
लोग अपने घर मैं छिपे हुए रहते है।
फिर भी मैं खेतों पर रहकर
अन्न की रखवाली करता हूँ।

न जाने कितने परिश्रम के बाद ,
अन्न का दाना घर पर लाता हूँ।
पर कहा मुझे इस अन्न का
उचित दाम मिल पाता है।
आज भी मेरे परिवार का जीवन,
कष्ट में ही बितता है।

इतनी मेहनत के बाद भी
मेरी हालात कहाँ सुधर रही है।
मेरी स्थिति आज भी तो,
बद से बदतर होती जा रही है।

~ अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
~प्रकृति~(द्रुत विलम्बित छंद)
~प्रकृति~(द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
💐प्रेम कौतुक-159💐
💐प्रेम कौतुक-159💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Tufan ki  pahle ki khamoshi ka andesha mujhe hone hi laga th
Tufan ki pahle ki khamoshi ka andesha mujhe hone hi laga th
Sakshi Tripathi
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
Ram Krishan Rastogi
देख रहा था पीछे मुड़कर
देख रहा था पीछे मुड़कर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" यह जिंदगी क्या क्या कारनामे करवा रही है
कवि दीपक बवेजा
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
Shyam Pandey
तबकी  बात  और है,
तबकी बात और है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हज़ारों सदियाँ इतिहास के मंज़र से बे-निशान ग़ायब हो जाती हैं
हज़ारों सदियाँ इतिहास के मंज़र से बे-निशान ग़ायब हो जाती हैं
Dr. Rajiv
बड़ा असंगत आजकल, जीवन का व्यापार।
बड़ा असंगत आजकल, जीवन का व्यापार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरा विषय साहित्य नहीं है
मेरा विषय साहित्य नहीं है
Ankita Patel
क्यों छोड़ गए तन्हा
क्यों छोड़ गए तन्हा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*उम्र के पड़ाव पर रिश्तों व समाज की जरूरत*
*उम्र के पड़ाव पर रिश्तों व समाज की जरूरत*
Anil chobisa
युग बीते और आज भी ,
युग बीते और आज भी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पहलवान बहनो के समर्थन में ..... ✍️
पहलवान बहनो के समर्थन में ..... ✍️
Kailash singh
देश के राजनीतिज्ञ
देश के राजनीतिज्ञ
विजय कुमार अग्रवाल
हर बार ही ख्याल तेरा।
हर बार ही ख्याल तेरा।
Taj Mohammad
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
हिसाब रखियेगा जनाब,
हिसाब रखियेगा जनाब,
Buddha Prakash
तुमसे ज्यादा और किसको, यहाँ प्यार हम करेंगे
तुमसे ज्यादा और किसको, यहाँ प्यार हम करेंगे
gurudeenverma198
गोलू देवता मूर्ति स्थापना समारोह ।
गोलू देवता मूर्ति स्थापना समारोह ।
श्याम सिंह बिष्ट
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
Vishal babu (vishu)
*कैकेई (कुंडलिया)*
*कैकेई (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हमारी हार के किस्सों के हिस्से हो गए हैं
हमारी हार के किस्सों के हिस्से हो गए हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हमनें ढूंढा नहीं कभी खुद को
हमनें ढूंढा नहीं कभी खुद को
Dr fauzia Naseem shad
चंद एहसासात
चंद एहसासात
Shyam Sundar Subramanian
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे राम
मेरे राम
Prakash Chandra
2326.पूर्णिका
2326.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...