Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2022 · 3 min read

मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ / (हिन्दी दिवस पर एक गीत)

मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मै गायक हूँ, सुखदायक हूँ,
मैं जनमन की अधिनायक हूँ ।
मैं राजकाज,जन-जन भाषा,
औ’ वेदों की अनुवादक हूँ ।

जिसके माथे हिमरजत मुकुट
उस भारत माँ की बिन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मेरे आँगन जागे कबीर,
खेले ग़ालिब,मोमिनो मीर ।
पत्ता – पत्ता , डाली – डाली,
फूली, फलती मेरी ही पीर ।

जिसको धारे फिरती मीरा
मैं वो मोहन-सी बिंदी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मैंने विष के जब घूँट पिए,
ममताभर तब रैदास जिए ।
मेरी अँधेरी देहरी पर,
तुलसी के जलते रहे दिए ।

जिसकी लहरें हों प्रेमगीत,
मैं वो श्यामल कालिंदी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

बँग्ला में मेरी दिशाएँ हैं,
उर्दू में मेरी क्रियाएँ हैं ।
गुजराती और मराठी में,
दक्षिण में मेरी विमाएँ हैं ।

जिसने वाणी दी है,मैं उस
कारिन्दा की कारिन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

पंजाबी में आधार मेरा,
उड़िया में है व्यवहार मेरा ।
मैं तमिल,तेलुगू,मलयालम,
कन्नड़ में है साकार मेरा ।

जिसके तट हुए आक्रमण,मैं
उस सिंधु नदी-सी सिंधी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

दी “भारतेंदु” ने मुझे धूप,
बरसा ‘द्विवेदी- युग’ अनूप ।
दी “प्रेमचंद” ने शीतलता,
औ’ ‘प्रगतिवाद’ है उष्णरूप ।

हूँ कथा-व्यथा मैं वीरों की,
मैं “गद्य-पद्य” बाशिन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मेरी आँखें हैं “सूरदास”,
मै “माखन दा” की मिसरी हूँ ।
मेरे कोटर में “सियाराम”,
मैं “मुक्तिबोध” में निखरी हूँ ।

बसते हैं प्राण “निराला” में,
मैं “पंत” ग्राम्य-कालिन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मैं हूँ “जायस” की नागमती,
हूँ भक्ति-धार “रसख़ानों” की ।
मैं हूँ “गणेश” सी पत्रकार,
औ’ थीसिस हूँ विज्ञानों की ।

हूँ ‘व्यास-पीठ’ का संचालन,
फिर भी ‘रिन्दों’ की ‘रिन्दी’ हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

बृज में मेरा लालित्य भरा,
अवधी में है चारित्र्य भरा ।
मैथिली , मालवी बोली में,
मेरा ही सुंदर कृत्य भरा ।

मैं मधुर निमाड़ी-सी अल्हड़,
अलबेली – सी बुन्देली हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

कवियों ने मुझे दुलारा है,
लेखक की सखी-सहेली हूँ ।
हूँ “घाघ-भट्ट” की कहावतें,
“ख़ुसरो” की अमर पहेली हूँ ।

यद्यपि मेरा परिवार बड़ा,
फिर भी मैं बहुत अकेली हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मेरे जीवन में “राम” रमे,
मैं हूँ “मोहन” के गोरस-सी ।
मेरे गुरुत्व में बसे “बुद्ध”,
मैं परम सिद्ध हूँ “गोरख”सी ।

मैं “महावीर” की जिनवाणी,
मैं संत – हृदय बाशिन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मैं गर्मी में , बरसातों में,
मै भजन – उनींदी – रातों में ।
मैं उजियारा हूँ “दिनकर” का,
मैं “वाजपेयी” की बातों में ।

मैं लाभ-हानि बाजारों की,
मैं तेजी हूँ औ’ मन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मैं बरसाने की अमर प्रीत,
औ’ रीतिकाल की सुगर रीत ।
मैं मधुर कंठ हूँ “नीरज” का,
मैं हूँ “कुमार” का मधुर गीत ।

‘आपातकाल’ की हूँ पीड़ा,
मैं “मीसा” की पाबन्दी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

मेरी गंगा सम्मान भरी,
मेरी गागर है ज्ञान भरी ।
मेरे सागर में मिलने को,
आतुर सरिता विज्ञान भरी ।

है चादर धवल संस्कृत की,
उससे निकली मैं चिंदी हूँ ।
मैं हिन्दी हूँ , मैं हिन्दी हूँ ।

०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
Tag: गीत
11 Likes · 28 Comments · 288 Views

Books from ईश्वर दयाल गोस्वामी

You may also like:
"कुएं का मेंढक" होना भी
*Author प्रणय प्रभात*
आहट को पहचान...
आहट को पहचान...
मनोज कर्ण
*भरा है नेह से जो भी, उसी की शुद्ध काया है (मुक्तक)*
*भरा है नेह से जो भी, उसी की शुद्ध काया...
Ravi Prakash
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Sakshi Tripathi
काश अगर तुम हमें समझ पाते
काश अगर तुम हमें समझ पाते
Writer_ermkumar
मां का आंचल
मां का आंचल
Ankit Halke jha
ग्रीष्म की तपन
ग्रीष्म की तपन
डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
आप चेहरा बदल के मिलियेगा
आप चेहरा बदल के मिलियेगा
Dr fauzia Naseem shad
आज की प्रस्तुति: भाग 3
आज की प्रस्तुति: भाग 3
Rajeev Dutta
*आधुनिक सॉनेट का अनुपम संग्रह है ‘एक समंदर गहरा भीतर’*
*आधुनिक सॉनेट का अनुपम संग्रह है ‘एक समंदर गहरा भीतर’*
बिमल तिवारी आत्मबोध
नज़रिया
नज़रिया
Dr. Kishan tandon kranti
"भैयादूज"
Dr Meenu Poonia
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
🌹🌺कैसे कहूँ मैं अकेला हूँ, तुम्हारी याद जो है संग में🌺🌹
🌹🌺कैसे कहूँ मैं अकेला हूँ, तुम्हारी याद जो है संग...
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
प्यार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
प्यार करो
प्यार करो
Shekhar Chandra Mitra
'दीपक-चोर'?
'दीपक-चोर'?
पंकज कुमार कर्ण
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी...
Manisha Manjari
Writing Challenge- खाली (Empty)
Writing Challenge- खाली (Empty)
Sahityapedia
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
'अशांत' शेखर
तनहा
तनहा
Rekha Drolia
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
#दीनता_की_कहानी_कहूँ_और_क्या....!!
#दीनता_की_कहानी_कहूँ_और_क्या....!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दोहा
दोहा
Dr. Sunita Singh
एक तू ही नहीं बढ़ रहा , मंजिल की तरफ
एक तू ही नहीं बढ़ रहा , मंजिल की तरफ
कवि दीपक बवेजा
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
श्याम सिंह बिष्ट
आदमी से आदमी..
आदमी से आदमी..
Vijay kumar Pandey
मोबाइल का आशिक़
मोबाइल का आशिक़
आकाश महेशपुरी
चार वीर सिपाही
चार वीर सिपाही
अनूप अम्बर
Loading...