Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2016 · 1 min read

मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ

कहाँ और कब कब अकेला रहा हूँ
मैं हर रोज़ हर शब अकेला रहा हूँ

मुझे अपने बारे में क्या मशवरा हो
मैं अपने लिए कब अकेला रहा हूँ

उदासी का आलम यहाँ तक रहा है
मैं होते हुऐ सब अकेला रहा हूँ

यहाँ से वहाँ तक इधर से उधर तक
मैं पश्चिम से पूरब अकेला रहा हूँ

बहुत हौंसला मुझको मैंने दिया है
मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ

तेरी ज़ात मुझसे जुदा ही रही है
मैं तब हो कि या’ अब अकेला रहा हूँ

नासिर राव

1 Comment · 234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
*ये सावन जब से आया है, तुम्हें क्या हो गया बादल (मुक्तक)*
*ये सावन जब से आया है, तुम्हें क्या हो गया बादल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सुकूं का प्यासा है।
सुकूं का प्यासा है।
Taj Mohammad
दिल पर लिखे अशआर
दिल पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
जीने की कला
जीने की कला
Shyam Sundar Subramanian
संदेश बिन विधा
संदेश बिन विधा
Mahender Singh
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
Vindhya Prakash Mishra
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सच्ची सहेली - कहानी
सच्ची सहेली - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नारी सम्मान
नारी सम्मान
Sanjay ' शून्य'
बहुत बातूनी है तू।
बहुत बातूनी है तू।
Buddha Prakash
खामोशियां पढ़ने का हुनर हो
खामोशियां पढ़ने का हुनर हो
Amit Pandey
दीपावली :दोहे
दीपावली :दोहे
Sushila Joshi
मेरी  हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
मेरी हर इक शाम उम्मीदों में गुजर जाती है।। की आएंगे किस रोज
★ IPS KAMAL THAKUR ★
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
पड़ोसन की ‘मी टू’ (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सहरा से नदी मिल गई
सहरा से नदी मिल गई
अरशद रसूल बदायूंनी
"यादें"
Yogendra Chaturwedi
अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
विजय कुमार अग्रवाल
लव मैरिजvsअरेंज मैरिज
लव मैरिजvsअरेंज मैरिज
Satish Srijan
काग़ज़ के पुतले बने,
काग़ज़ के पुतले बने,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
More important than 'what to do' is to know 'what not to do'.
More important than 'what to do' is to know 'what not to do'.
Dr. Rajiv
सेंगोल और संसद
सेंगोल और संसद
Damini Narayan Singh
पंख कटे पांखी
पंख कटे पांखी
सूर्यकांत द्विवेदी
ईश्वर की कृपा
ईश्वर की कृपा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी  जाऊ
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी जाऊ
Swami Ganganiya
मेरे मन के धरातल पर बस उन्हीं का स्वागत है
मेरे मन के धरातल पर बस उन्हीं का स्वागत है
ruby kumari
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
टैगोर
टैगोर
Aman Kumar Holy
मन को आनंदित करे,
मन को आनंदित करे,
Rashmi Sanjay
सुनो ना
सुनो ना
shabina. Naaz
एक दिन
एक दिन
Ranjana Verma
Loading...