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15 Aug 2016 · 1 min read

मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ

कहाँ और कब कब अकेला रहा हूँ
मैं हर रोज़ हर शब अकेला रहा हूँ

मुझे अपने बारे में क्या मशवरा हो
मैं अपने लिए कब अकेला रहा हूँ

उदासी का आलम यहाँ तक रहा है
मैं होते हुऐ सब अकेला रहा हूँ

यहाँ से वहाँ तक इधर से उधर तक
मैं पश्चिम से पूरब अकेला रहा हूँ

बहुत हौंसला मुझको मैंने दिया है
मैं रोते हुएे जब अकेला रहा हूँ

तेरी ज़ात मुझसे जुदा ही रही है
मैं तब हो कि या’ अब अकेला रहा हूँ

नासिर राव

1 Comment · 298 Views
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