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2 May 2020 · 1 min read

-:{ मैं भी }:-

कोई पुकारे तो एक आवाज़ हूँ मैं भी ,
जो दिल में बस जाए वो साज़ हूँ मैं भी ,,

क्या करना है जला के चिराग अंधेरे में ,
जो पल पल जल रहा हो वो आग हूँ मैं भी,,

अब तो हर कंकड़ से भी सम्भल कर चलते है,
एक ठोकर से जो बिखर गया हूं मैं भी ,,

बंद करो अपनी ज़हरीली बातो का पिटारा अब,
आज जो डस ले वो नाग हूँ मैं भी ,,

मेरे चाक दामन पे बहुत से छीटें लगाए है तुमने ,
लेकिन अंतरात्मा से आज भी पाक हूँ मै भी ,,

हमेशा चाहा है तुमने मुझे तोड़ के मसलना ,
अब फूल नहीं काँटो का बाग हूँ मैं भी ,,

तूने ही कदर नही की कभी मेरे चाहत की ,
लाखो दुआ पे भी जो न मिले , वो भाग्य हूँ मैं भी ,,

Language: Hindi
Tag: कविता
3 Likes · 1 Comment · 251 Views
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