मैं भारत की नारी कहलाऊँगी
पति जी ने कहा अपनी पत्नि से
पति जी ने कहा अपनी पत्नि से
सुनों हे प्रिये!
आज शादी की सालगिरह है
मन में ख्याल आता है
मैं तुम्हें कैसे रिझाऊँ
मैं तुम्हें कैसे मनाऊँ
मैं तुम्हारें लिए क्या गिफ्ट लेकर आऊँ।
पत्नि जी मंद – मंद मुस्कुराई
कुछ शरमाई
यूँ मुख टेढ़ा कर बोली
हे पति जी
दुकान से सामान ले आना
कुछ दुध, कुछ दही, कुछ मिठाई ले आना
खीर बनाऊँगी आज
खट्टे सब्जी बनाऊँगी आज
खाना खाएंगे हम आज साथ -साथ
पुराने दिनों को याद करेंगे आज।
पति जी बोले यह क्या गिफ्ट है?
कुछ और बोलो
खुश होकर मुँह तो खोलो
पत्नि जी बोली
नही – नही अब बस
तुम हो मेरे साथ
मुझे और क्या चाहिए आज
प्रभू जी से प्रार्थना करें
हम सदा रहें साथ – साथ।
पति जी भी मुस्कुराएँ
और बोले
तुम्हारी लबों की लाली लिपस्टिक
चेहरे के लिए पावडर – क्रीम भी है सटिक
बालों के लिए खुशबू वाला तेल
मैं इसे लेने जाऊँ आटो में या फिर रेल।
तुम सज – धज कर निकलोगे
मंहगी जींस – टाप लाऊँ
या फिर ———-।
पत्नि जी बोली
हे मेरे पतिदेव
मैं भारत की नारी हूँ
मुझे सादगी प्यारी है
मुझे भारतीय संस्कृति ही प्यारी है।
मैं भारतीय संस्कृति को अपनाऊँगी
मैं भारत की नारी कहलाऊँगी।
लाना है
मेरे लिए साड़ी ले आना
रंग – बिरंगी चूड़ी ले आना
माथे के लिए सुनहरी बिंदिया ले आना
माँग भरने के लिए सिन्दूर ले आना
सारे गमों को बाहर छोड़कर
ढेर सारी खुशियाँ ले आना
बस मैं इसी में खुश हो जाऊँगी।
हे पतिदेव
मैं तुम्हारें लिए लजीज व्यंजन बनाऊँगी
मैं सोलह शृंगार कर बड़े प्यार से खाना खिलाऊँगी।
मैं जीवन के सफ़र में
सदा
हमसफ़र बन साथ चलूँगी
कुछ खट्टे – कुछ मीठे स्वाद लिए
कुछ खट्टे – कुछ मीठे अहसास लिए
सदा
साथ रहूँगी
मैं भारत की नारी हूँ
मैं सदा पतिव्रत धर्म का पालन करुँगी
मैं पाश्चात्य संस्कृति को कभी
अपने जीवन में नहीं अपनाऊँगी
मैं हमारी खुशहाल जिंदगी के लिए
माँ से सदा प्रार्थना करूँगी
मैं माँ से प्रार्थना करूँगी।।।
राकेश कुमार राठौर
चाम्पा (छत्तीसगढ़)