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22 May 2022 · 1 min read

मैं बहती गंगा बन जाऊंगी।

तू जिधर-जिधर जाएगा,,,
मैं उधर-उधर ही आऊंगी।।
तेरे लिए ओ मेरे भगीरथी,,,
मैं बहती गंगा बन जाऊंगी।।

तू जैसी मुझको बोलेगा,,,
मैं वैसी ही बनकर आऊंगी।।
तेरे लिए मेरे प्रियवर,,,
मैं उर्वशी,रंभा बन जाऊंगी।।

प्यास से तू ना घबराना,,,
मैं वर्षा बनकर बरस जाऊंगी।।
दिन की तपती धूप में,,,
मैं शीतल संध्या बन जाऊंगी।।

प्रेम का हिसाब मांगोगे,,,
मैं तुमको प्रिए ना दे पाऊंगी।।
गिनने पर आओगे जो,,,
मैं अनंत संख्या बन जाउंगी।।

गर बिछड़े जीवन में,,,
मैं तुझको फिर मिल जाउंगी।।
महसूस करना मुझको,,,
मैं खुशबू चम्पा बन जाऊंगी।।

मुझसे दूर कभी ना जाना,,,
मैं विपत्ति में साथ निभाऊंगी।।
सामर्थ्य तुमको देने को,,,
मैं हाथ का पंजा बन जाऊंगी।।

यदि थककर बैठोगे तुम,,,
मैं पेड़ की छैयां बन जाउंगी।।
इतना प्रेम करूंगी तूमसे,,,
मैं प्रेम की संज्ञा बन जाउंगी।।

तेरे लिए ओ मेरे गिरधर,,,
मैं सबकुछ ही कर जाउंगी।।
मुझको लिखना जीवन भर,,,
मैं उत्तम रचना बन जाउंगी।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 218 Views
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