Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 2 min read

मैं नहीं मधु का उपासक

मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको ।

कीर्ति, सुख, ऐश्वर्य, धनबल, बाहुबल और बुद्धि बंचित,
सम्पदा से हीन हूँ मैं, फिर मुझे क्यों दम्भ होगा ?
सत्य शिव का मैं पुजारी, मैं नहीं याचक बनूँगा,
नहि जगत से बैर मेरा, स्वाभिमानी ढंग होगा ।।
शुद्ध मति के प्रेम से ही जगत का कल्याण होगा,
छल-कपट से दूर हूँ मैं, है सरल से प्रेम मुझको,
मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको ।।

वेदना के नवल कारक नित खड़े प्रतिबिम्ब जैसे,
द्वेष से अनभिज्ञ- संस्कृति से यही शिक्षा मिली है ।
जो विधाता ने दिया वह फल मुझे पर्याप्त है बस,
पद, प्रतिष्ठा, पारितोषिक की कहाँ इच्छा मिली है?!
स्वाभिमानी हो सदा विचरण करें पावन धरा पर,
युक्ति है गतिशील फिर भी, है अचल से प्रेम मुझको,
मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको ।।

अल्पता में ही सफल होते रहे हैं शिष्टजन सब,
देव निर्मित इस धरा में, मधुप भी मकरंद भी हैं।
सूर ने तो बिन नयन के देव के दर्शन किये हैं,
ध्यान से देखें तनिक तो, गीत भी हैं, छंद भी हैं ।।
राह चलते मुझे भी अगणित मिले हैं अडिग भूधर,
किन्तु बहती जान्हवी के, शुद्ध जल से प्रेम मुझको,
मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको ।।

बहुत आये हैं महीपति, महल में विश्राम करते,
देख ली अगणित धरा पर, अग्नि की जलती चिताएं,
तपन रवि की तीक्ष्ण, ज्वालाएं हवन के समिध कीं भी,
घुमड़तीं घन की घटाएं, धधकती पर्वत शिखाएं।।
किन्तु सीमा पर अडिग अरि के शमन को खड़े उनकी,
रग-रगों में प्रज्जवलित जो, उस अनल से प्रेम मुझको।
मैं नहीं मधु का उपासक, है गरल से प्रेम मुझको ।।

– नवीन जोशी ‘नवल’

Language: Hindi
1 Like · 97 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ नवीन जोशी 'नवल'
View all

You may also like these posts

सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।।
Abhishek Soni
हम
हम
Adha Deshwal
चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
लक्ष्मी सिंह
दूसरों का दर्द महसूस करने वाला इंसान ही
दूसरों का दर्द महसूस करने वाला इंसान ही
shabina. Naaz
"संक्रमण काल"
Khajan Singh Nain
गुरु
गुरु
Roopali Sharma
कमी
कमी
Otteri Selvakumar
"वक्त के पाँव में"
Dr. Kishan tandon kranti
सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ
सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ
Jitendra kumar
..
..
*प्रणय*
एक बूँद पानी💧
एक बूँद पानी💧
Madhuri mahakash
अशकों से गीत बनाता हूँ
अशकों से गीत बनाता हूँ
Kanchan Gupta
आवारा परिंदा
आवारा परिंदा
साहित्य गौरव
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
In the end, we always regret the choices we didn’t make, the
In the end, we always regret the choices we didn’t make, the
पूर्वार्थ
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
Rekha khichi
फिर तुम्हारी याद
फिर तुम्हारी याद
Akash Agam
ब्लैक शू / मुसाफिर बैठा
ब्लैक शू / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
VINOD CHAUHAN
अजनबी कहकर ही बुलाए
अजनबी कहकर ही बुलाए
Jyoti Roshni
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
Ranjeet kumar patre
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
आज सारे शब्द मेरे खामोश मन में विचार ही नहीं उमड़ते।
आज सारे शब्द मेरे खामोश मन में विचार ही नहीं उमड़ते।
Annu Gurjar
2532.पूर्णिका
2532.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जुस्तज़ू के किनारे
जुस्तज़ू के किनारे
Vivek Pandey
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...