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30 Mar 2020 · 1 min read

मैं नदी हूं

मैं नदी हूं
प्रेम हो या घृणा
तिनका हो या कंकड़
फुल हो या राख
सब को समेट लूंगी खुद में
तुम्हें भी बहा ले जाऊंगी
दूर तक कि मिल सको
अपने प्रारब्ध से…
~ सिद्धार्थ
नदी को सुख दुख का कहां पता होता है
हर हाल में बहना ही तो उसे बदा होता है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 326 Views

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