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9 May 2024 · 1 min read

नज़रें

मैं नज़रे मिलाऊँ, वो नज़रें झुकाएँ,
मैं नज़रें हटाऊँ, वो नज़रें मिलाएं।

नज़र ही नज़र में नज़र मारते हैं,
ये मैं जानता हूँ वो हमें चाहते हैं।

हम उन्हें चाहते हैं ये भी वो जानते हैं,
क्या चाहते हैं दोनो न कोई जानता है।

मगर इश्क़ की बदनसीबी भी देखो जरा,
न मैं उन्हें जानता हूँ, न वो हमें जानते हैं।।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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