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11 Aug 2021 · 1 min read

मैं जो कह भी नहीं रही

मैं जो कह भी नहीं
रही
वह तुम्हें सुन रहा है
मन में जो तुम्हारे
बातें बैठ गई हैं
जो मेरी छवि तुमने
बना ली है
जो तुम्हारे जीवन के कटु
अनुभव हैं
उनसे तुम बाहर निकल नहीं पा
रहे हो
सही को गलत और
गलत को अक्सर सही समझते
हो
सच का सामना करने से
घबराते हो
भ्रम में जीते हो
बनावटीपन में
खुशियों के घर
तलाशते हो
अपनों से तो तुमने बिल्कुल
किनारा कर लिया
परायों को अपना समझकर
गले लगाते हो
परिवार के लिए
तुम्हारे पास
बिल्कुल समय नहीं
यूं तो व्यर्थ की बातों में
बेकार के दोस्तों के साथ
अपना समय गंवाते हो
किसी के दुख तकलीफ से
तुम्हारा कोई वास्ता नहीं
कहने को तो
धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन तुम
बड़े धूमधाम से करवाते हो
तुम भी आज के युग की
एक भटकती हुई सोच
एक विकृत मानसिकता
एक भौतिकतावाद की अंधी दौड़ के
शिकार हो चुके हो
भगवान तुम जैसे लोगों को
सद्बुद्धि दें
समाज के कल्याण के साथ साथ
परिवार का भी कल्याण करो
ऐसी हिम्मत
ऐसी संवेदनशीलता
ऐसी सोच दे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
Tag: कविता
184 Views
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