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30 Aug 2016 · 1 min read

मैं छोटा सही मुझको आता बहुत है

मैं छोटा सही मुझ को आता बहुत है
कि जीने का मुझको सलीक़ा बहुत है
———–
न सोचा न देखा न समझा बहुत है
जमाने तुझे हमने परखा –बहुत है
—————–
मिलें चाँद सूरज ये खाहिश नही की
मुक़ददर का अपने सितारा बहुत है
—————-
इसे क्या उसे क्या इन्हें क्या उन्हें क्या
ज़माने ने हमको भी लूटा बहुत है
—————–
यक़ीं हम ज़माने पे करते भी कैसे
भरोसा है कम और धोका बहुत है
———-
अभी मुझसे आँखें वो फेरेंगे कैसे
अभी जेब में मेरी पैसा बहुत है

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